September 3, 2012

नूर ए जहाँ...

नूर ए जहाँ कहाँ है तेरा आशिया,

आँखें ढूंढती है तेरी परछाईया,

ख्वाबो में रहती है तू महफूज़,

हकीक़त में करता हूँ तुमको महसूस,

ना होने की बेबसी कैसे इज़हार करूँ,

उंघती खुशियों का कैसे इश्तेहार करूँ,

जुड़ने से तेरी जुड़ी एक नायाब दास्ता,

दो पल की ज़िन्दगी, मस्ताना ये कारवां