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चलो मिलकर साथ चले, जले ये मशाल तो जले,
अन्धकार की राह में, जले ये मशाल तो जले,
अश्को की चिंगारी को, हमदर्दी के अंगारों को,
एक मंज़िल एक दिशा देती, जले ये मशाल तो जले,
सब्र करना सहन करना एक चूक होगी,
सहम के डर डर के जीना एक भूल होगी,
जवाब छुपा है कहीं, उन दबी आवाज़ों के तले,
लहलहाती आवाज़ों के साथ, जले ये मशाल तो जले,
हौसले बुलंद हो और आग में अमन हो,
लो कसम के ना किसी का अब दमन हो,
जन्नत सी इस ज़मीन पे अपनो का प्यार पले,
इंसानियत को रोशन करती, जले ये मशाल तो जले...