कुछ पल याद के दायरे में, ज़िन्दगी को महकाते है
कुछ पल याद के पैमाने पर, आंसुओ को छलकाते है
पलो की फिदरत होती है, दिल को बहलाना या बहकाना
ये कुछ पल फिर भी, एक कश-म-कश छोड़ जाते है...
छा जाते है ये बीते पल, दिल-ओ-दिमाग पे इस कदर
इस आज और आने वाले कल, पर चलाते है कैसा खंजर
इसे असर कहू या कहू मैं सहर, या कहू एक मीठा ज़हर,
ज़ज्बातो का इन्तेहाँ लेता, ये पलो का नायाब सफ़र...
हो भले ही खुशिया कम, या हो भले ही ग़म का अम्बार,
हो सके तो फैला ओ फकीर, मुस्कराहट की रौशनी सदाबहार,
बुलंद कर एक फिदरत ऐसी, की खिल उठे प्यार से संसार,
उभर के कश म कश से, जीत के जहर से, पल ये आये बार बार!!!
The day Table Tennis died
3 years ago
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