September 12, 2010

एक स्पर्श...

माँ के ओझल होते ही नन्हा शिशु व्याकुल हो उठता है,
एक स्पर्श के लिए घुटने बल पीछे पीछे चल पड़ता है,
नहीं चेतना होती उसको वातावरण में घटती गतिविधियों की,
माँ के आचल में ही उसको अपना संसार सवरता दिखता है...

ऐसे ही माँ के मन में भी उमड़ती सहश्त्रो तरंगे है,
नवजात की अठखेलियो से तृप्त होती अनेक उमंगें है,
किलकारियों की ध्वनी में जब वो आँगन गूंज पड़ता है,
माँ का ह्रदय ममता के संगीत में मानो झूम पड़ता है...

नि:स्वार्थ भाव का परिचायक होता ये प्यारा बंधन,
करुणा की परिधि में पलता बढ़ता ये मधुर सा बंधन!

A tribute to unique love of moms and their babies...

2 comments:

Prem said...

You poem so beautifully describes the relationship. There is definetly no love like mother's love !!!
It is so amazing how everytime my mom happens to call me up whenever I am sad or not well even when I haven't informed her !!! Thats the beauty of this love ...

Vishal said...

@ Prem - Nice to see your invaluable comment in this space. Your perspective too describes the relationship beautifully. Indeed, the beauty of this love is so divine :-)