रास्ते नहीं थे आसान पर, असर के दायरे थे बेहद खूबसुरत,
कश म कश भरे हालातो में भी, छोड़ जाते हलकी मुस्कुराहट,
गिरता संभलता उठ पड़ता, राही सुन कर मंजिल की आहट,
खड़ी उस मोड़ पे सुहानी ज़िन्दगी, रुबरू करती ख़ुदा की रहमत,
रहमत की भीनी भीनी महक से, जगमगाता हर पल ये शामियाना,
सैकड़ो हमसफ़र की नेक दुआओं से, टिमटिमाता कशिश में आईना,
कैसे शुक्रिया अदा करे ए ख़ुदा, तेरी खुदाई का तेरे अंजुमन का,
चलती जाती बेनज़ीर सी ज़िन्दगी, गुलज़ार करती रंगों से आशियाना!!!
The day Table Tennis died
3 years ago
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