July 30, 2013

ज़रा सोच पगले!

क्या खोना है तूने, कुछ है भी क्या तेरा,
ज़रा सोच पगले, क्या अपना कब था तेरा,
जो मुकम्मल हुआ, तू तो वो भूल गया,
जो छुट गया, उसके ग़म में घुल गया,

पाने की चाह में राहे पकड़ी थी तूने,
सब कुछ पाकर भी रह गया तू अकेला,
पक्की बात है तुझे सब ये है मालुम,
फिर क्यों बनता है यु खुद से मासूम,

आखिर क्यों डर डर के साँसे लेता है,
बोझ की तरह इन लम्हों को खोता है,
दिल से कर देख, दोस्ती एक दफा,
लुटा के देख, मोहब्बत पे अपनी वफ़ा,

रंगों की लहरों में डूब जा इस कदर,
ज़हन में जिसका हो बेइंतेहा असर,
ना पाने की चाह, ना खोने का डर,
मद मस्त सी जिंदगी और प्यार सा सफ़र,

ज़रा सोच पगले, येही है गुज़र,
ज़रा सोच पगले, येही है बसर…

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